कैंसर क्या है (What is cancer)
कैंसर एक प्रकार की बीमारी है जो उतकों की कोशिकाओं में अनियमित वृद्धि एवम विभाजन के कारण होता है। ऊतको की अनियमित वृद्धि के कारण धीरे धीरे ये कोशिकाएं गांठ का रूप ले लेती हैं जिसे ट्यूमर कहते हैं । ये ट्यूमर दो प्रकार के होते हैं
1) सुदम (विनाइन) - यह ऐसा ट्यूमर है जो धीरे धीरे वृद्धि करता है किंतु बाद में तीव्र गति से बढ़ने लगता है। यह ट्यूमर शरीर के निश्चित भाग तक ही सीमित रहता है इधर उधर नही फैलता है एवम यह कम खतरनाक होता है।
2) दुर्दम (मैलिगनेंट) - यह ट्यूमर प्रारंभ में एक गांठ के समान होता है और एक निश्चित जगह पर पाया जाता है किंतु थोड़े दिनों के बाद शीघ्रता से बढ़ने लगता हैं एवम शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंच जाता है। अंत में इस ट्यूमर की कोशिकाएं टूटकर रक्त एवम लसिका के माध्यम से पूरी शरीर में फ़ैल जाती हैं, और नए ट्यूमर पैदा करने लगते हैं । इसे मेटास्टेसिस भी कहते हैं ।
कैंसर के प्रकार (types of cancer)
कैंसर को हम निम्न वर्गो में वर्गीकृत कर सकते हैं
1) कार्सिनोमास - यह कैंसर त्वचा या ऐपीथीलियम ऊतक की अनियमित वृद्धि के कारण होता है, यह त्वचा, मस्तिष्क, फेफड़े, स्तन, आमाशय तथा अग्नाशय आदि में हो सकता है। लगभग 85% कैंसर इसी प्रकार का होता है।
2) सार्कोमास - इस प्रकार के कैंसर की वृद्धि भ्रूणीय जैसे अस्थि, उपास्थि, पेशियों और लिम्फग्रंथियों और कुछ संयोजी उतकों में पाया जाता है। लगभग 2% कैंसर इसी प्रकार का होता है।
3) लिंफोमास - इस प्रकार के कैंसर में लसिका गांठें और प्लीहा अधिक मात्रा में लिम्फोसाइट बनाने लगती हैं, लगभग 5% कैंसर इसी प्रकार का होता है ।
4) ल्यूकेमिया - यह रक्त का कैंसर होता है जिसमे अस्थि मज्जा में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि और विभाजन के कारण रक्त में ल्यूकोसाइट की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है।
मनुष्य में लगभग 4% कैंसर इसी प्रकार का होता है ।
5) मेलैनोमास - ये शरीर में वर्णक कोशिकाओं में ट्यूमर के रूप में होता है।
6) ग्लियोमास - यह कैंसर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं में ट्यूमर के कारण होता है।
7) टीरेटोमास - यह कैंसर विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में भिन्नता के कारण होता है।
इसके अलावा कुछ अन्य कैंसर जैसे
सर्वाइकल कैंसर, मुंह का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, गर्भाशय कैंसर, कोलन कैंसर, गुर्दे का कैंसर, वृषण का कैंसर आदि ।
कैंसर के कारण | कैंसर क्यों होता है (cause of cancer)
1) धूम्रपान के सेवन से - जो लोग लगातार पान, तंबाखू, गुटखा, सुपारी आदि का सेवन करते हैं तब इनके मुंह की ऐपीथीलियम पर इसकी लगातार रगड़ लगती है जो कैंसर का कारण बन सकती है। इसके अलावा इन पदार्थों में हानिकारक केमिकल जैसे निकोटीन, बेंजोपाईरिन, आर्सेनिक आदि मिले रहते हैं जो मुंह का कैंसर को पैदा करते हैं। इसके अलावा बीड़ी, सिगरेट आदि के निरंतर उपयोग करने से हमारे फेफड़ों में धुआं भरने लगता है और टार बनने लगता है जिससे शुरुआत में सांस लेने में तकलीफ और धीरे धीरे फेफड़े खराब होने जैसी समस्या पैदा होने लगती है।
2) जीनउत्परिवर्तन से - सामान्यतः कुछ जीन निष्क्रिय अवस्था में पाए जाते हैं लेकिन कभी कभी ये किसी विशेष परिस्थिति के कारण ये सक्रिय होने लगते हैं और सामान्य कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित करने लगते हैं। कैंसर के लिए उत्तरदायी इन जीनों को ओंकोजीन कहते हैं। जीन उत्परिवर्तन (ट्रांसफर) के समय किसी कारणवश कोई जीन कैंसर जीन (ओंकोजीन) में परिवर्तित हो जाता है जो कैंसर का कारण बनता है।
3) विषाणु के संक्रमण से - कुछ विषाणु भी कैंसर का कारण बन सकते हैं। रिट्रो वायरस, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, हिपेटाईटिस बी और सी आदि कुछ कैंसर जैसे सर्वाइकल, लीवर कैंसर एवम पेट के कैंसर का कारण बनते हैं । कैंसर के लिए उत्तरदायी इन वायरसों को ओंको वायरस कहते हैं । क्यों की इन वायरस में ओंकोजीन पाए जाते हैं।
4) हार्मोनल असंतुलन से - कभी कभी शरीर में हार्मोनल असंतुलन के कारण भी कैंसर पैदा हो सकता है कुछ लिंग हार्मोन तथा स्टाइरॉयड आदि भी अधिक मात्रा में स्त्रावित होने से कैंसर पैदा हो सकता है ।
5) विकिरण के प्रभाव से - लंबे समय तक पराबैगनी किरणों के संपर्क में रहने से शरीर में अधिक मात्रा में एक्स किरणों के पहुंचने से कॉमिक किरणों या रेडियेशन के संपर्क में आने से भी कैंसर पैदा हो सकता है। सामान्यतः पराबैगनी किरणों से त्वचा का कैंसर होने का खतरा रहता है।
6) कुछ रसायनिक कारकों से - कुछ रसायन भी कैंसर पैदा कर सकते हैं, जैसे निकोटीन, कैफ़ीन, पॉलीसाइक्लिकहाइड्रोकार्बन एवम लेड आदि । कैंसर पैदा करने वाले रसायन को हम कार्सीनोजेन कहते हैं।
7) तनाव - तनाव को कैंसर का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है, क्यों की तनाव हमारी स्वास्थ प्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, तनाव के कारण हमारे शरीर में हार्मोनल असंतुलन एवम प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने लगती है जिसके फलस्वरूप कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
8) मोटापा - मोटापा भी कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है अधिक मात्रा में बसायुक्त आहार लेने से हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है एवम कोई भी शारीरिक गतिविधि कम करने से हमारे शरीर का संतुलन बिगड़ने लगता है, और कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
कैंसर उत्पन्न करने वाले रसायन (chemical which cause of cancer)
1) कोलतार - इससे त्वचा और फेफड़ों का कैंसर पैदा होने का खतरा होता है।
2) धुआं - इससे भी त्वचा और फेफड़ों का कैंसर पैदा होने का खतरा होता है।
3) मस्टर्ड गैस - इससे फेफड़ों का कैंसर पैदा होने का खतरा होता है।
4) कैडमियम ऑक्साइड - प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर पैदा होने का खतरा होता है।
5) एफला टॉक्सिन - यकृत (लीवर) का कैंसर पैदा होने का खतरा होता है।
6) विनायल क्लोराइड - यह भी लीवर कैंसर को पैदा करता है।
7) एस्बेस्टस - फेफड़े और प्लूरल झिल्ली में कैंसर होने का खतरा होता है।
8) निकिल और क्रोमियम - ये भी फेफड़े का कैंसर पैदा करते हैं।
9) पराबैगनी किरणों और रेडियोएक्टिव - इससे त्वचा का कैंसर पैदा होने का खतरा होता है।
10) निकोटीन - इससे मुंह का कैंसर पैदा होने का खतरा होता है।
कैंसर के लक्षण (symptoms of cancer)
1) शरीर में किसी भी प्रकार का घाव होने पर उसका जल्दी ना भरना ।
2) शरीर में किसी भी प्रकार के मस्से या तिल का अचानक तेजी से बढ़ना या रंग में अचानक परिवर्तन होना ।
3) वजन में लगातार कमी आना ।
4) कब्ज का बना रहना और भूख ना लगना ।
5) शरीर के किसी भाग में अचानक गांठ का बनना । इस दर्द रहित गांठ की असाधारण रूप से वृद्धि ।
6) शोंच निवृत्ति के समय में अनियमित परिवर्तन ।
7) खाना निगलने में कठिनाई होना एवम लगातार कफ का बना रहना।
8) अनियमित रक्त स्राव या रक्त के समान किसी द्रव का स्राव ।
9) बार बार अपच होना या किसी अल्सर के इलाज होने के बाद भी ठीक ना होना ।
10) मांशपेशियो और जोड़ों में दर्द बना रहना एवम लगातार कमजोरी और थकान बनी रहना ।
कैंसर से बचने के उपाय
1) धूम्रपान करने से बचे।
2) पान तंबाकू या किसी भी प्रकार के रसायनों का सेवन ना करे।
3) स्त्री द्वारा समय समय पर सर्विक्स की जांच कराते रहना चाहिए।
4) शरीर पर किसी भी प्रकार की गांठ या तिल जो अचानक तेजी से बढ़ रहा है तो इसे तुरंत डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए।
5) शरीर में किसी भी प्रकार का स्राव होने पर डॉक्टर से परामर्श करे, इसे टाले ना।
6) यदि शरीर में किसी प्रकार का कोई घाव है, जो ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है, तो ऐसी स्थिति में जांच अवश्य कराएं और किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें।
7) नियमित रूप से समय समय पर अपना वैक्सीनेशन करवाते रहे।
8) अपने शरीर की समय समय पर जांच कराते रहे।
9) संतुलित आहार ले, वसा, लाल मांस आदि का अधिक सेवन करने से बचे।
10) ज्यादा समय तक धूप में न रहे।
11) ज्यादा रेडियेशन होने वाले क्षेत्र में काम करने से बचे, या सुरक्षात्मक उपकरण का उपयोग करे।
12) नियमित रूप से व्यायाम करे या कोई भी शारीरिक गतिविधि को कर सकते हैं।
कैंसर के उपचार (treatment of cancer)
कैंसर का स्थाई उपचार संभव तो नही है लेकिन इसके प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है और रोगी को आयु बढ़ाई जा सकती है। यदि रोग के प्रारंभिक अवस्था में ही पता चल जाए तो इसका उपचार संभव है जो निम्न प्रकार से किया जा सकता है -
1) कीमो थैरेपी - इसमें विभिन्न प्रकार के रसायनिक योगिको द्वारा बनाई गई औषधि के माध्यम से कैंसर का उपचार किया जाता है।
2) रेडियो थैरेपी - इसमें रोगी के विशिष्ट अंग जो कैंसर से प्रभावित हैं, इसकी कोशिकाओं को विभिन्न किरणों को माध्यम से नष्ट किया जाता है।
3) शल्य क्रिया या ऑपरेशन - शरीर के किसी अंग में गांठ महसूस होने पर उसे निकाला जाता है, इस ट्यूमर का सैंपल लेकर इसकी जांच की जाती है और यह पता लगाया जाता है की कैंसर है या नही यदि है तो यह किस स्टेज पर है। इस क्रिया को वायोप्सी कहते हैं।
महत्वपूर्ण जानकारी
कुछ वैज्ञानिकों ने एक सामान्य पौधे कैथेरेंथेस रोजियस (सदाबहार) से ब्लड कैंसर के इलाज के लिए विंक्रिस्टीन और विंब्लास्टिन नामक दो दवाइयों का अविष्कार किया है। इन दवाओं से कैंसर के 100% इलाज की संभावना का पता तो नही चलता लेकिन इस उपचार की सहायता से कैंसर के प्रभाव को कम किया जा सकता है एवम जब कैंसर प्राथमिक अवस्था में होता है तभी उसे ठीक कर सकते हैं।
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