हमारी त्वचा में कितनी परतें होती हैं ? जानिए

 त्वचा की कितनी परते होती है | Skin Ki Kitni Parte Hoti Hai In Hindi (How Much Layer of Skin)

 त्वचा मानव शरीर का सबसे बड़ा अंग है, मानव शरीर में लगभग 22 वर्ग फुट तक फैली होती है।  एक व्यस्क व्यक्ति में लगभग 8 पाउंड त्वचा होती है। 

 त्वचा की तीन परते होती है। 

1)  एपिडर्मिस (अधिचर्म)

2)  डर्मिस 

3)  हाइपोडर्मिस

 

एपिडर्मिस क्या है ? (What is Apidarmis)

एपिडर्मिस त्वचा की सबसे बाहरी परत होती है, जो शरीर के बाहरी रक्षात्मक कवच के रूप में कार्य करती है। यह पूरे शरीर को वाटरप्रूफ परत के रूप में कवर करती है और बहरी हानिकारक पदार्थो को शरीर के अंदर जाने से रोकती है यह त्वचा पर संक्रमण होने से रोकती है।  एपिडर्मिस में किसी भी प्रकार की रक्त शिरा मौजूद नहीं होती है, लेकिन एपिथेलियल ऊतक मौजूद होता है। शरीर के विभिन्न भागो पर इसकी मोटाई अलग अलग होती है,  पैर  तलवो और हाथो की हथेलियों पर इसकी मोटाई सबसे अधिक लगभग 1.5 मिलीमीटर और आँखों की पलको पर इसकी मोटाई सबसे कम लगभग 0.05 मिलीमीटर होती है। 

एपिडर्मिस की कितनी परते होती है ? (How Much Layer of Apidarmis)

1  स्ट्रेटम कोर्नियम (शल्क अस्तर):

स्ट्रेटम कोर्नियम (शल्क अस्तर) एपिडर्मिस की सबसे बाहरी परत होती है इसमें कई मृत कोशिकाए पाई जाती है।  इन कोशिकाओं में एपिडर्मल वसा मौजूद होता है जो त्वचा को फटने या संक्रमण से रक्षा करता है। 

2  स्ट्रेटम ल्युसिडम (स्वच्छ अस्तर) :

 स्ट्रेटम ल्युसिडम,  स्ट्रेटम कोर्नियम के नीचे मौजूद होती है,  इसमें चपटी कोशिकाए पाई जाती है, जिनमे पारदर्शी द्रव भरा होता है जो इस परत को एक पारदर्शी रूप देता है।  इस परत में कोशिकाओं की स्पष्ट रूप रेखा दिखाई देती है। यह परत केवल हाथो की हथेलियों और पेरो के तलवो पर पाई जाती है इसमें ईलाडीन नामक प्रोटीन पाया जाता है जो वाटरप्रूफ के रूप में कार्य करता है।

3  स्ट्रेटम ग्रेन्युलोसम (कणमय अस्तर):

स्ट्रेटम ग्रेनुलोसम, स्ट्रेटम ल्युसिडम के नीचे मौजूद होती है। इस परत की मोटाई कोशिकाओं की गहराई के हिसाब से अलग अलग होती है। इस परत को कैरेटनाइजेशन का पहला चरण माना जाता है,कैरेटनाइजेशन वह प्रक्रिया होती है जिसमे जीवित कोशिकाएं तरल पदार्थ की कमी के कारण बिना किसी केन्द्रिका के चपटी हो जाती है। इन चपटी कोशिकाओं में छोटे ग्रेन्यूल्स (कण) होते है। जैसे बेसोफिलिक ग्रेन्यूल्स जो त्वचा को चमकदार आभा देते है। 

4  स्ट्रेटम स्पाइनोसम (शूलमय अस्तर):

स्ट्रेटम स्पाइनोसम, स्ट्रेटम ग्रेनुलोसम के नीचे मौजूद होती है। इसमें विभिन्न बहुभुज आकृति क कोशिकाएं होती है यह कोशिकाएं एक दुसरे से नुकीले काँटों जैसे धागो के द्वारा जुडी रहती है। इसमें विशिष्ट केन्द्रिका और कोशिकाओं को जोड़ने के लिए शूल (डेस्मोसोम) मौजूद होते है। 

5  स्ट्रेटम जर्मिनाटिवम या बेसल (आधारी अस्तर) :

स्ट्रेटम जर्मिनाटिवम या बेसल,  स्ट्रेटम स्पाइनोसम के नीचे मौजूद होती है। यह एपिडर्मिस की सबसे गहरी परत होती है और रक्त कोशिकाओं से पोषक तत्व प्राप्त करती है। स्ट्रेटम जर्मिनाटिवम या बेसल में स्तम्भ जैसी कोशिकाएं होती है जिनमे प्रत्येक आयताकार केन्द्रिका होती है इसमें कोशिकाओं का निरंतर पूनर्जनन  होता रहता है। 

एपिडर्मिस में कितने प्रकार की कोशिकाएं पाई जाती है ? 

1)  केरेटिनोसाइट्स  

इनमे केरेटिन का जमाव होता है।  एपिडर्मिस और डर्मिस के बीच एक विशेष संरचना मौजूद होती है,  इसमें विभिन्न प्रोटीन संरचनाये निहित होती है, जो केरेटिन कोशिकाओं की बेसल परत को बेसमेंट झिल्ली से जोड़ती है।  और बेसमेंट झिल्ली को अंतर्निहित डर्मिस से जोड़ती है बेसमेंट झिल्ली यह सुनिश्चित करती है की एपिडर्मिस अन्तर्निहित डर्मिस से किस मजबूती से चिपक जाता है। 

2)  मेलैनोसाइट्स 

ये एपिडर्मिस की बेसल परत अर्थात स्ट्रेटम जर्मिनाटिवम में पाई जाते है। ये कोशिकाएं एक काले रंग के वर्णक का निर्माण करती है, जिसे मिलेनिन कहते है। एमिनो एसिड और टायरोक्सिन के रासायनिक अभिक्रिया के  दौरान मेलेनिन बनता है। मेलेनिन अल्ट्रा वायलेट किरणों के हानिकारक प्रभाव से त्वचा के नीचे की परतो की रक्षा करता है। यह एक प्राकृतिक सनस्क्रीन की तरह कार्य करता है जिसमे दो प्रकार के प्रोटीन होते है 1 इलास्टिन, 2 कोलेजन फाइबर यह त्वचा के विभिन्न रंगो के लिए जिम्मेदार होता है। 

3)   लैंगरहेंस 

ये एपिडर्मिस में पाई जाने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाएं है। यह शरीर के लिए बहरी पदार्थो की पहचान करने में मदद करती है। 

4)   मस्केल कोशिकाएं 

ये अंडे के आकार के मेकेनो रिसेप्टर्स होते है, जो हल्के स्पर्श की अनुभूति के लिए आवश्यक होती है।  ये स्पर्श ग्राही के रूप में कार्य करती है, जो त्वचा की बेसल परत में पायी जाती है।  इन्हे मर्केल रेेनवियर सेल्स या स्पर्श एपिथेलियल ऊतक के रूप में भी जाना जाता है। 

डर्मिस क्या है ?(What is Darmis)

यह त्वचा की रेशेदार भीतरी परत होती है जो एपिडर्मिस के नीचे उपस्थित होती है। इसे वास्तविक त्वचा भी  कहते है। यह कठोर लोचदार होती है. इसमें रक्त कोशिकाये, स्वेद ग्रंथिया, बालो के रोम और अन्य संरचनाये शामिल है। यह भी हाथ की हथेलियों और पैर के तलवो पर काफी मोटी होती है जबकि आँखों की पलको पर पतली और नाजुक होती है। इसमें इलास्टिन और कोलेजन फाइबर भी उपस्थित होते है। 

डर्मिस की कितनी परते होती है ? (How Much Layer of Darmis)

1)  अक्षिबिम्बिये परत (Papillary)

यह डर्मिस की ऊपरी परत है,  जिसमे लोचदार ऊतक के छोटे शांकवाकर प्रक्षेपण मौजूद होते है।  इस प्रक्षेपण को अक्षिबिम्बिये कहा जाता है। इन अक्षिबिंबो में लूपदार कोशिकायें और तंत्रिका रेशो के ऊतक मौजूद होते है। रोम पुटक के आस पास यह परत संयोजी ऊतक बनाती है।  यहाँ इलास्टिन और कोलेजन अव्यवस्थित होते है। 

2)  टेस्टिक्युलर परत (Reticular)

यह अक्षिबिम्बिये परत के नीचे होती है, जिसमे लोचदार रेशो की तुलना में कोलजन रेशे अधिक होते है। इन परत में कई प्रकार की संरचनाये मौजूद होती है। जैसे  

कोलेजन फाइबर और  इलास्टिन जो फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाओं से बने होते है। रक्त शिराये जिसमे पोषक तत्व और ऑक्सीजन मौजूद होती है। लसिका शिराये जो ऐंटी एजेंट के रूप में कार्य करती है। कोलेजन फाइबर, यह त्वचा को मजबूती और मोटाई प्रदान करते है इसमें अत्यधिक तन्य शक्ति होती है। इलास्टिन त्वचा को लोच और अनुकूलता प्रदान करता है। 

हाइपोडर्मिस या सबक्युटिस क्या है ?(What is Haipodarmis)

यह परत डर्मिस के नीचे मौजूद होती है। यह ढीले संयोजी ऊतक या वसा ऊतक की परत होती है, इसे हाइपोडर्मिस या पेनिकुलस भी कहा जाता है।  सबक्युटिस में मुख्य रूप से वसा कोशिकाएं, तंत्रिकाएं और रक्त वाहिकाएं होती हैं।  यह वसा ऊतक व्यक्ति की उम्र, लिंग और स्वास्थ्य के अनुसार मोटाई में बदलता रहता है। हाइपोडर्मिस परत शरीर में चिकनाई और शरीर को कदकाठी देने में मदद करती है। यह ऊर्जा के रूप में उपयोग के लिए वसा संग्रहित करती है और तापरोधी के रूप में कार्य करती है। इस परत में रोम पुटकों की जड़ें जुडी होती हैं,और श्वेत ग्रंथिया मौजूद होती हैं।  

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